कम्यूटर का विकास - Computer World

Wednesday, 8 April 2020

कम्यूटर का विकास

कम्यूटर का विकास
(Development of Computer)

कम्यूटर पक पेसी मानव निर्मित मशीन है जिसने हमारे काम करने, रहने, खेलने इत्याि सभी के तरीकों में परिवर्तन कर दिया है इसने हमारे जीवन के हर पहलू को किसी न किसी तरह से छूआ है । यह अविश्वशनीय आविष्कार ही कम्प्यूटर है । पिछले लगभग चार शक में इसने हमारे समाज के रहन सहन, काम करने के तरीके को बदल छाला है। यह लकड़ी एवैकस से शुरू होकर नवीनतम उत्च गति माइकोप्रोसेसर में परिवर्तित हो गया है।

कम्प्यूटर का इतिहास
History of Computer 

1, एबैकस (Abacus): प्राचीन समय में ( गणना करने के लिए) एवैकस का उपयोग किय जाता या। एबैकस एक यंत्र है जिसका उपयोग आंकिक गणना (Arithmatie calculation) के लिए किमा जाता है । गणना तारों भें पिरोये मोतियों के द्वारा किया जाता है इसका आविष्का चीन में हुआ या|

2. पासकल कैलकुलेटर (Pascal Calculator) या पास्कलाइन (PAscaline): प्रथम गणना मशीन (Mechanical Calculator) का निर्माण सन् 1645 में फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) ने किया था उस कैलकुलेटर में इन्टर लौकिंग गियरस (Inter locking gears) का उपयोग किया गया था, जो 0 से 9 संख्या को दर्शाता था । यह केवल जोड़ या घटाव करने में सक्षम या । अत: इसे ऐडींग मशीन (Adding Machine) भी कहा गया।

3. एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine); सन 1801 में जोसफ मेरी जैक्वाई ने स्वचालित बुनाई मशीन (Automated wenving loom) का निर्माण किया। इसमें धातु के पलेट को छेदकर पंच किया गया था और जो कपड़े की बुनाई को नियंतित करने में सक्षम था सन् 1820 में एक अंग्रेज आविष्कारक चार्ल्स  बैबेज (Charles Babbage) ने डेफरेन्स इंजन (Deference Engine) तथा बाद में एनालिटिकल इंजन बनाया। चार्ल्स बैबेज के कॉन्सेप्ट का उपयोग कर पहला कम्प्यूटर प्रोटोटाइप का निर्माण किया गया। इस कारण चार्ल्स बैबेज को 'कम्प्यूटर का जन्मदाता' (Father of Computer) कहा जाता है। दस साल के मेहनत के बावजूद वे पूर्णतः सफल नहीं हुए। सन् 1842 में लेडी लवलेश (Lady Lavelace) ने एक पेपर L.F. Menabrea on the Analytical Engine का इटालियन से अंग्रेजी में रूपान्तरण किया। अगॅस्टा ने ही एक पहला Demonstration प्रोग्राम लिखा और उनके बाइनरी अर्थमेटिक के योगदान को जॉन वॉन न्यूमैन ने आधुनिक कम्प्यूटर के विकास के लिए उपयोग किया। इसलिए अगॅस्टा को 'प्रथम प्रोग्रामर' तथा 'बाइनरी प्रणाली का आविष्कारक' कहा जाता है।

4. हरमैन हौलर्थ और पंच कार्ड (Herman Hollerth and Punch Cards): सन् 1880 के लगभग हौलथ (Hollerth) ने पंच कार्ड का निर्माण किया, जो आज के कंप्यूटर card के तरह होता था । उन्होंने हॉलर्थ 80 कॉलम कोड और सेंसस टेबुलेटिंग मशीन (Census Tabulator) का भी आविष्कार किया।

5. प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर - ENIAC (First electronic computer-ENIAC); सन् 1942 में हावर्ड यूनिवर्सिटी के एच आइकन ने एक कम्प्यूटर का निर्माण किया। यह कम्प्यूटर Mark I आज के कम्प्यूटर का प्रोटोटाइप था। सन् 1946 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ENIAC (Electronic Numerical Integrated and Calculator) हुआ। जो प्रथम पूर्णतः इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर था तथा इसका निर्माण Pennsylvania University J. Presper Eckert John Muchly ने  किया था

6.स्टोर्ड प्रोग्राम कॉन्सेप्ट- EDSAC(StoredProgramConcept-EDSAC) :- स्टोर्ड प्रोग्राम कान्सेप्ट के अनुसार प्रचालन निर्देश (Operating instructions) और ऑकड़ा (Data) जिनका प्रोसेसिंग में उपयोग हो रहा है उसे कम्प्यटर में स्टोर्ड (stored) होना चाहिए और आवश्यकतानुसार प्रोग्राम के क्रियान्वयन (execution) के समय रूपान्तरित होना चाहिए। एडजैक (EDSAC) कम्प्यूटर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में विकसित किया गया था, जिसमें स्टोर्ड प्रोग्राम कॉन्सेप्ट समाहित था। यह कम्प्यूटर में निर्देश (Instruction) के अनुक्रम (Sequence) को स्टोर्ड करने में सक्षम था और पहला कम्प्यूटर प्रोग्राम के समतुल्य था ।

7. युनिभैक-I (UNIVAC-I) : Universal Automatic Computer भी कहते है सन् 1951 में व्यापारिक उपयोग के लिए उपलब्ध यह प्रथम कम्प्यूटर था। इसमें कम्प्यूटर प्रथम पीढ़ी (First generation) के गुण (characteristics) समाहित थे।

विकास  अबैकस
वर्ष 3000-2000 ई. पूर्व
मुख्य तथ्य प्रथम मशीन कैलकुलेटर
विकास  पासकल्स कैलकुलेटर
वर्ष 1645
मुख्य तथ्य प्रथम मशीन जो जोड़, घटाव और गिनती करने में सक्षम था।
विकास  जैक्वार्ड विभींग लूम
वर्ष 1801
मुख्य तथ्य बुनाई के पैटर्न को कंट्रोल करने के लिए धातु प्लेट पंच होल के साथ उपोग किया गया था।
विकास  बैवेज एनालिटिकल इंजन
वर्ष 1834-1871
मुख्य तथ्य प्रथम जनरल परपस कम्प्यूटर बनाने की कोशिश; परन्तु बैबेज के जीवनकाल में ये संभव न हो सका ।
विकास  हरमन टैबुलेटिंग मशीन
वर्ष 1887-1896
मुख्य तथ्य डेटा को कार्ड में पंच करने तथा संग्रहित डेटा को सारणीकृत (tabulate) करने हेतु कूट (code) और यंत्र (device) का निर्माण किया गया।
विकास  हावर्ड आइकेन मार्क 1
वर्ष 1937-1944
मुख्य तथ्य इलेक्ट्रोमैकेनिकल कम्प्यूटर का निर्माण हुआ, जिनमें डेटा संग्रह के लिए पंच पेपर टेप का प्रयोग हुआ।
विकास  इनियक (ENIAC)
वर्ष 1943-1950
मुख्य तथ्य प्रथम सम्पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक गणना यंत्र जिसमें प्रोग्राम (Program) स्थायी रूप से समाहित था ।
विकास  वॉन न्यूमेन स्टोर्ड प्रोग्राम कॉन्सेप्ट
वर्ष 1945-1952
मुख्य तथ्य कम्प्यूटर के मेमोरी में निर्देश और डेटा (Instruction and Data) स्टोर करने की अवधारणा (concept) का विकास हुआ। डेटा और निर्देश को बाइनरी में कुटबद्ध (Code) करने की शुरुआत हुई।
विकास  एडजैक (EDSAC)
वर्ष 1946-1952
मुख्य तथ्य प्रथम कम्प्यूटर जो सूचनाओं (Data)और निर्देशों (Instructions) को अपने मेमोरी में संग्रहित करने में सक्षम था।
विकास  यूनिभैक-1 (UNIVAC-I)
वर्ष 1951-1954
मुख्य तथ्य प्रथम कम्प्यूटर जो व्यवसायिक रूप से उपलब्ध था।

कम्प्यूटर पीड़ी

Computer Generation

कम्प्यूटर की विभिन्न पीढ़ियों को विकसित करने का उद्देश्य संस्ता, छोटा, तेज तथा विश्वासी कम्प्यूटर बनाना रहा है।

प्रथम पीड़ी के कंप्यूटर 
First Generation Computer-1942-1955

यूनिभैक I पहला व्यावसायिक कम्प्यूटर था इस मशीन का विकास फौज और वैज्ञानिक उपयोग के लिए किया गया था। इसमें निर्वात ट्यूब (Vaccum Tubes) का प्रयोग किया गया था। ये आकार में बड़े और अधिक ऊष्मा उत्पन्न करने वाले थे। इसमें सारे निर्देश तथा सूचनायें 0 तथा 1 के रूप कम्प्यूटर में संग्रहित होते थे तथा इसमें मशीनी भाषा कम्प्यूटर (Machine Language) का प्रयोग किया गया या। संग्रहण के लिए पंच कार्ड का उपयोग किया गया उदाहरण-इनियक (ENIAC), यूनिभैक (UNIVAC) तथा मार्क-1 इसके उदाहरण है निर्वात् ट्यूब के उपयोग में कुछ कमियाँ भी थी। निर्वात् ट्यूब गर्म होने में समय लगता था तथा गर्म होने के बाद अत्यधिक ऊष्मा पैदा होती थी, जिसे ठंडा रखने के लिए खर्चीली वातानुकूलित यंत्र (Air-conditioning System) का उपयोग करना पड़ता या, तथा अधिक मात्रा में विद्युत् खर्च होती थी।

टूसरी पीड़ी के कम्प्यूटर
Second Generation Computer-1955-1964

इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में निर्वात् ट्यूब की जगह हल्के छोटे ट्रांजिस्टर (Transitor) का प्रयोग किया गया। कम्प्यूटर में आँकड़ों (Data) को निरूपित करने के लिए मैग्नेटिक कोर का उपयोग किया गया आँकड़ों को संग्रहित करने के लिए मैग्नेटिक डिस्क तथा टेप का उपयोग किया गया मैग्नेटिक डिस्क पर आयरन ऑक्साइड की परत होती थी। इनकी गति और संग्रहण क्षमता भी तीव्र थी। इस दौरान व्यवसाय तथा उद्योग जगत में कम्प्यूटर का प्रयोग प्रारंभ हुआ तथा नये प्रोग्रामिंग भाषा का विकास किया गया| 

तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर
Third Generation Computer-1965-1974

इलेक्ट्रॉनिक्स में निरंतर तकनीकी विकास से कम्प्यूटर के आकार में कमी, तथा तीव्र गति से कार्य करने की क्षमता का विकास हुआ। तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर ट्रॉजिस्टर के जगह इंटीग्रेटेड स्किट (Integrated Circuit-I.C.) का प्रयोग शुरू हुआ जिसका विकास जे. एस.किल्वी (J.S. Kilbi) ने किया। आरम्भ में LSI (Large Scale Integration) का प्रयोग किया गया, जिसमें एक सिलिकॉन चिप पर बड़ी मात्रा में I.C. (Integrated circuit) या ट्रॉजिस्टर का प्रयोग किया गया RAM (Random Access Memory) के प्रयोग होने से मैग्नेटिक टेप तथा डिस्क के संग्रहण क्षमता में वृद्धि हुई। लोगों द्वारा प्रयुक्त कम्प्यूटर में टाइम शेयरिंग का विकास हुआ, जिसके द्वारा एक से अधिक यूजर एकसाथ कम्प्यूटर के संसाधन का उपयोग कर सकते थे । हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अलग-अलग मिलना प्रारंभ हुआ ताकि युजर अपने आवश्यकतानुसार सॉफ्टवेयर लें सके।

चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर
Fourth Generation Computer-1975-up till now

चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर में LSI IC के जगह VLSI (Very Large Scale Integration) तथा ULSI (UItra Large Scale Integration) का प्रयोग आरम्भ हुआ जिसमें एक चिप में लगभग लाखों चीजों को संग्रहित किया जा सकता था। VLSI तकनीक के उपयोग से माइक्रोप्रोसेसर का निर्माण हुआ जिससे कम्प्यूटर के आकार में कमी और क्षमता में वृद्धि हुई। माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग न केवल कम्प्यूटर में बल्कि और भी बहुत सारे उत्पादों में किया गया; जैसे-वाहनों, सिलाई मशीन, माइक्रोवेव ओवन, इलेक्ट्रॉनिक गेम इत्यादि में। मैग्नेटिक डिस्क तथा टेप के स्थान पर सेमी कन्डक्टर मेमोरी का उपयोग होने लगा। रैम (RAM) की क्षमता में वृद्धि से समय की बचत हुई और कार्य अत्यंत तीव्र गति से होने लगा। इस दौरान GUI (Graphical User Interface) के विकास से कम्प्यूटर का उपयोग करना और सरल हो गया। MS-DOS, MS-Windows तथा Apple Mac OS ऑपरेटिंग सिस्टम तथा 'C' भाषा (Language) का विकास हुआ। उच्चस्तरीय भाषा (Highlevellanguage) का मानकीकरण (standardization) किया गया ताकि प्रोग्राम सभी कम्प्यूटरों में चलाया जा सके।

पाँचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर
The Fifth Generation Computer-At present

पाँचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर में VLSIके स्थान पर ULSI (UItraLargeScale Integration) का विकास हुआ और एक चिप द्वारा करोड़ों गणना करना संभव हो सका। संग्रहण (Storage) के लिए सीडी (Compact Disk) का विकास हुआ। इंटरनेट, ई-मेल तथा वल्ल्ड वाइड वेव (www) का विकास हुआ। बहुत छोटे तथा तीव्र गति से कार्य करने वाले कम्प्यूटर का विकास हुआ। प्रोग्रामिंग की जटिलता कम हो गई। कृत्रिम ज्ञान क्षमता (Artificial Intellegence) को विकसित करने की कोशिश की गई ताकि परिस्थिति अनुसार कम्प्यूटर निर्णय ले सके। पोर्टेबल पीसी (Portable PC) और डेस्कटॉप पीसी (Desktop PC) ने कम्प्यूटर के क्षेत्र में क्रांति ला दिया तथा इसका उपयोग जीवन के हर क्षेत्र में होने लगा।

पीढ़ी  विशेषताएं 
प्रथम पीढ़ी  1. इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में निर्वात् ट्यूब का उपयोग ।
2. प्राइमरी इंटरनल स्टोरेज के रूप में मैग्नेटिक ड्रम का उपयोग।
3. सीमित मुख्य भंडारण क्षमता (Limited main storage capacity)।
4. मंद गति के इनपुट-आउटपुट ।
5. निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा, मशीनी भाषा, असेम्बली भाषा।
6. ताप नियंत्रण में असुविधा।
7. उपयोग-पेरौल प्रोसेसिंग और रिकार्ड रखने के लिए।
8. उदाहरण- IBM 650 UNIVAC
द्वितीय पीढ़ी 1. ट्रांजिस्टर का उपयोग आरम्भ ।
2. प्राइमरी इन्टरनल स्टोरेज के रूप में चुम्बकीय कोर (Magnetic core) का उपयोग।
3. मुख्य भंडारण क्षमता में वृद्धि।
4. तीव्र इनपुट-आउटपुट ।
5. उच्च स्तरीय भाषा (कोबोल, फारट्रान)
6. आकार और ताप में कमी।
7. तीव्र और विश्वसनीय।
8. बेंच ओरिएन्टेड उपयोग-बिलिंग, पेरौल प्रोसेसिंग, इनभेन्टरी फाइल का अपडेसन।
9. JC16RUT- IBM 1401 Honey well 200 CDC 1604.
तृतीय पीढ़ी  1. इंटीग्रेटेड चिप का उपयोग।
2. चुम्बकीय कोर औरं सॉलिङ स्टेट मुख्य भंडारण के रूप में उपयोग। (SSI और MSI)
3. अधिक लचीला (More Flexible) इनपुट-आउटपुट ।
4. तीव्र, छोटे, विश्वसनीय।
5. उच्चस्तरीय भाषा का वृहत् उपयोग।
6. रिमोट प्रोसेसिंग और टाइम शेयरिंग सिस्टम, मल्टी प्रोग्रामिंग।
7. इनपुट आउटपुट को नियंत्रित करने के लिए सॉफ्टवेयर उपलब्ध ।
৪. उपयोग-एयरलाइन रिजर्वेशन सिस्टम, क्रेडीट कार्ड बिलिंग, मार्केट फोरकास्टिंग।
9. उदाहरण - IBM System/360, NCR 395, Burrough B6500
चतुर्थ पीढ़ी  1. VLSI का तथा ULSI उपयोग।
2. उच्च तथा तीव्र क्षमता वाले भंडारण।
3. भिन्न-भिन्न हार्डवेयर निर्माता के यंत्र बीच एक अनुकूलता ताकि उपभोक्ता किसी एक विक्रेता से बँधा न रहे।
4. मिनी कम्प्यूटर के उपयोग में वृद्धि।
5. माइक्रोप्रोसेसर और मिनी कम्प्यूटर का आरंभ ।
6. उपयोग- इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, व्यवसायिक उत्पादन और व्यक्तिगत उपयोग।
7. उदाहरण- IBM PC-XT, एप्पल II
पंचमी पीढ़ी  1. ऑप्टिकल डिस्क का भंडारण में उपयोग ।
2. इंटरनेट, ई-मेल तथा www का विकास ।
3. आकार में बहुत छोटे, तीव्र तथा उपयोग में आसान प्लग और प्ले।
4. उपयोग- इंटरनेट, मल्टीमीडिया का उपयोग करने में।
5. उदाहरण- IBM नोटबुक, Pentium PC, सुपर कम्प्यूटर इत्यादि ।


स्पेशल परपस और जनरल परंपस कम्प्यूटर्स
Special Purpose & General purpose Computers

1. स्पेशल परपस कम्प्यूटर : स्पेशल परपस कम्प्यूटर का उपयोग किसी एक निश्चित और विशेष तरह के कठिनाई को दूर करने के लिए किया जाता है । किसी विशेष उपयोग के लिए ऐसे सिस्टम अत्यधिक प्रभावी होते हैं। उदाहरण- स्वचालित ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, स्वचालित एयरक्राफ्ट लैंडिंग सिस्टम इत्यादि।

2. जनरल परंपस कम्पयूटर :- ये किसी विशेष कार्य के लिए निर्मित नहीं होते हैं। ये एक से अधिक कठिनाइयों को दूर करने में सक्षम होते हैं तथा इनमें थोडा बहुत प्रोग्राम या निर्देश में परिवर्तन कर भिन्न-भिन्न कार्य सम्पादित किये जा सकते हैं । इनका उपयोग साधारण एकाउन्टींग से लेकर जटिल अनुरूपण (Simulation) तथा पूर्वानुमान (Forcasting) में होता है। 

कार्य पद्धति के आधार पर वर्गीकरण
Classification on working System

1. डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer): डिजिटल कम्प्यूटर में आँकड़ें (Data) को इलेक्ट्रिक पल्स के रूप में निरूपित किया जाता है। जिसकी गणना (0 या 1) से निरूपित की जाती है। इसका एक अच्छा उदाहरण है डिजिटल घड़ी। इनकी गति तीव्र होती है तथा यह करोड़ों गणणायें प्रति सेकेंड कर सकता है। आधुनिक डिजिटल कम्प्यूटर में द्विआधारी पद्धति (Binary System) का प्रयोग किया जाता है।

2. एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer): इसमें विद्युत के एनालॉग रूप का प्रयोग किया जाता है। इसकी गति धीमी होती है। वोल्टमीटर और वैरोमीटर इत्यादि एनालॉग यंत्र के उदाहरण हैं।

3. हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer): यह डिजिटल तथा एनालॉग का मिश्रित रूप है। इसमें इनपुट तथा आउटपुट एनालॉग रूप में होता है परन्तु प्रोसेसिंग डिजिटल रूप में होता है। इनमें एनालॉग से डिजिटल कन्भर्टर (ADC) तथा डिज़िटल से एनालॉग कन्भर्टर (DAC) का उपयोग होता है।

आकार के आधार पर वर्गीकरण
Classification on size

1. मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer); इन मशीनों की विशेषता वृहत् आंतरिक स्मृति संग्रहण क्षमता (large internal memory storage) तथा सॉफ्टवेयर और पेरीफेरल यंत्रों को वृहत् रूप से जोड़ा जाना है। इसके कार्य करने की क्षमता तथा गति अत्यंत तीव्र होती है। इन सिस्टम पर एक साथ एक से अधिक लोग (Multi user) विभिन्न कार्य कर सकते हैं। इसके लिए मल्टिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का निर्माण बेल (Bell) प्रयोगशाला में किया गया। उपयोग-बैंकिंग, अनुसंधान, रक्षा, अंतरिक्ष आदि के क्षेत्र में। उदाहरण-IBM-370, IBM-S/390 तथा यूनिभैक-1110 इत्यादि।

2. मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer): ये आकार में मेनफ्रेम से काफी छोटे होते हैं। इसकी संग्रहण क्षमता और गति अधिक होती है। इसपर एक साथ कई लोग (Multi user) काम कर सकते है। 80386 सुपर चिप का प्रयोग इसमें करने पर वह सुपर मिनी कम्प्यूटर में बदल जाता है।

उपयोग- कम्पनी, यात्री आरक्षण, अनुसंधान आदि में।
उदाहरण- AS 400, BULL HN-DPX2, HP 9000 RISC 6000.

3. माइक्रो कन्प्यूटर (Micro Computer) : माइक्रो कम्प्यूटर में प्रोसेसर के रूप में माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग होता है। इसमें इनपुट के लिए की बोर्ड तथा आउटपुट देखने के लिए मॉनीटर का उपयोग होता है। इसकी क्षमता 1 लाख संक्रियाएँ प्रति सेकेंड होती है। 

उपयोग- व्यावसायिक तौर पर, घरों में, मनोरंजन, चिकित्सा आदि के क्षेत्र में।
उदाहरण- APPLE MAC, IMAC, IBM, PS/2, IBM कम्पेटेवल 

4. पर्सनल कम्प्यूटर (Personal Computer) : यह आकार में बहुत छोटे होते है। यह माइक्रो कम्प्यूटर का ही एक रूप है। इस पर एक समय एक ही प्रयोक्ता (User) कार्य कर सकता है। इसका ऑपरेटिंग सिस्टम एक साथ कई कार्य (Multitasking) कर सकता है। इसे इंटरनेट से भी जोड़ सकते हैं। भारत में निर्मित प्रथम कम्प्यूटर का नाम सिद्धार्थ है। पैकमैन नामक प्रसिद्ध कम्पयूटर खेल के लिए निर्मित हुआ था । उपयोग-घरों में, व्यावसायिक रूप से, मनोरंजन, आंकड़ों के संग्रहण में इत्यादि ।

उदाहरण- IBM, Compaq, Lenovo, HP आदि के पसनल कम्प्यूटर ।

5. लैपटॉप (Laptop) : यह PC की तरह ही कार्य करता है, परन्तु आकार में PC से भी छोटा तथा कहीं भी ले जाने योग्य होता है। CPU, Monitor, Keyboard, Mouse तथा अन्य ड्राइव भी इसमें संयुक्त होते हैं। यह बैटरी से भी कार्य करता है अतः कही भी इसको ले जाकर इसका उपयोग किया जा सकता है। वाई-फाई और ब्लु-टुथ (Bluetooth) की सहायता से इंटरनेट का भी उपयोग किया जा सकता है।

उदाहरण- IBM, Compaq, Apple, Lenovo आदि कम्पनियों के लैपटॉप।

6. पामटॉप (Palmtop) : यह आकार में बहुत ही छोटा कम्प्यूटर है जिसे हथेली पर रखकर उपयोग किया जाता है। इसमें इनपुट ध्वनि के रूप में भी किया जाता है। इसे PDA भी कहा जाता है।

7. सुपर कम्प्यूटर (Super Computer): सुपर कम्प्यूटर एक कम्प्यूटर है जिसकी संग्रहण क्षमता तथा गति अत्यधिक तीव्र है। यह अपनी पीढ़ी के दूसरे कम्प्यूटरों की तीव्र है। इनमें हजारों माइक्रोप्रौसेसर लगे होते हैं। यह अबतक का सबसे शक्तिशाली कम्प्यूटर है। विश्व का प्रथम सुपर कम्प्यूटर 1976 ई० में क्रे-1 (Cray-1) था जो क्रे रिसर्च कंपनी द्वारा विकसित था। यह इतिहास में सबसे सफल सुपर कम्प्यूटर है। भारत का प्रथम सुपर कम्प्यूटर परम सी-डैक द्वारा 1991 में विकसित किया गया था। वर्तमान प्रोसेसिंग क्षमता विशेषतः गणना की गति में सुपर कम्प्यूटर सबसे आगे है। इसमें मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing) तथा समानान्तर प्रोसेसिंग (Parallel Processing) प्रयुक्त होता है, जिसके द्वारा किसी भी कार्य को टूुकड़ों में विभाजित किया जाता है तथा कई व्यक्ति एक साथ कार्य कर सकते हैं । इसका उपयोग एनीमेटेड ग्राफिक्स, परमाणु अनुसंधान इत्यादि में होता है। पेस सीरीज के सुपर कम्प्यूटर DRDO (Defence Research and Development Organisation) हैदराबाद तथा अनुपम सीरिज के कम्प्यूटर BARC (Bhabha Atomic Research Centre) के द्वारा विकसित किया गया। उदाहरण-CRAY-1



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