कम्प्यूटर के कार्य (Works of Computer)
तकनीकी दृष्टि से कम्प्यूटर के चार प्रमुख कार्य माने जाते हैं-
1. डाटा संकलन
2. डाटा सचयन
3. डाटा संसाधन
4. डाटा निर्गमन या पुनर्गिमन
डाटा का मतलब ऐसी जानकारी से है, जो लिखित, मुद्रित, श्रव्य, चाक्षुष, आरेखित या यान्त्रिक किसी भी रूप में हो सकती है । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक यन्त्र है, जो इच्छित प्रोग्राम के रूप में सम्पादित या हल करता है। कम्प्यूटर डाटा यानी दत्त सामग्री जैसे-नाम, रकम या मूल्य, अक्षर या अंक आदि को ग्रहण करके हमारे लिए उपयोगी और ज्ञानपूर्ण जानकारी देता है । इस सबके साथ-साथ कम्प्यूटर की मुख्य विशेषता यह है कि समय, ऊर्जा एवं धन की बचत, सही परिणाम तथा आँकड़ों को लम्बे समय तक कम स्थान में सुरक्षित रखती है। साथ-ही-साथ इसके परिणाम बहुत हद तक प्रामाणिक होते हैं। इतना ही नहीं, एक छोटे से 'फ्लॉपी' या 'सी.डी.' में हजारों आँकड़े एकत्रित किए जा सकते हैं। जिसे बहुत समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इस प्रकार इसका प्रयोग कर किसी तथ्य के गुम होने एवं नष्ट होने से बचाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इसकी अप्रत्यक्ष उपयोगिता है रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराना।
कम्प्यूटर अपना कार्य कैसे करता है? (How does the Computer Work)
कम्प्यूटर कोई भी काम स्वयं नहीं करता है, बल्कि हमारे निर्देशानुसार, किसी प्रोग्राम के अनुसार ही कार्य करता है। प्रत्येक प्रोग्राम को कोई कार्य सम्पादित करने के लिए इनपुट (Input) डाटा की आवश्यकता होती है। हम इनपुट साधनों जैसे-की-बोर्ड (Key Board), माउस (Mouse), स्कैनर (Scanner), जॉय स्टिक (Joy Stick), लाइट पेन (Light Pen), डिजिटल कैमरा (Digital Camera), स्पीकर (Speaker) आदि के द्वारा अपना इनपुट डाटा तथा प्रोग्राम कम्प्यूटर को देते हैं। कम्प्यूटर के प्रोसेसर (Processor), जिसे सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) या सी. पी.यू. (C.P.U.) भी कहा जाता है, के द्वारा हमारे दिए गए आदेशों अर्थात् प्रोग्राम (Programme) का पालन किया जाता है। यह प्रोग्राम इस तरह से लिखा होता है कि उसके ठीक-ठीक पालन करने से कोई काम पूरा हो जाता है । बिना प्रोग्राम के कम्प्यूटर कोई काम नहीं कर सकता है। प्रोग्राम का पालन पूरा हो जाने पर अथवा बीच में ही प्रोग्राम का परिणाम अर्थात आउटपुट (Output) किसी आउटपुट साधन, जैसे मॉनीटर के स्क्रीन (Screen), या प्रिंटर (Printer) या प्लाटर (Plotter) पर भेज दिया जाता है, जिसे हम देख या पढ़ सकते हैं। यदि हम प्रोग्राम या आउटपुट या दोनों को भविष्य में प्रयोग करने के लिए सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो उन्हें सूचना संचित करने के विशेष साधनों, जैसे हार्ड डिस्क (Hard disk), फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk), कॉम्पैक्ट डिस्क (Compact Disk :C. D) पर भेजकर सुरक्षित कर सकते है |
कम्प्यूटर को पेरीफेरल्स के साथ जोडना (Connecting System Unit With Peripherais)
कम्प्यूटर को पेरीफेरल्स के साथ जोड़ने से पहले उसकी विभिन्न केबलों (Cables) और कनेक्टरों (Connectors) की जानकारी अतिआवश्यक है।
1. पावर कोर्ड (Power Cord) -
कम्प्यूटर में विद्युत् के लिए दो केबल होती हैं-एक केवल से यूनिट का विद्युत् से सम्बन्ध स्थापित होता है और दूसरी मॉनीटर को विद्युत् से जोड़ती है।
2. मॉनीटर केवल (Monitor Cable) -
इस केबल का एक सिरा मॉनीटर के साथ जुड़ता है तथा दूसरा सिरा सिस्टम यूनिट (System Unit) के पिछले भाग से जुड़ता है |
3. माउस केबल (Mouse Cable) -
माउस केबल को सिस्टम यूनिट के पिछले भाग से जोड़ा जाता है।
4. को-बोर्ड केबल (Key Bord Cable) -
की- बोर्ड केबल को सिस्टम यूनिट के पीछे लगे गोल सॉँकेट से जोड़ा जाता है।
5. प्रिंटर केवल (Printer Cable) -
प्रिंटर केबल के एक सिरे को कनेक्टर के साथ प्रिंटर के पिछले हिस्से में जोड़ा जाता है तथा दूसरे सिरे को कम्प्यूटर के पिछले हिस्से में लगे समानान्तर पोर्ट (Parallel Port) से जोड़ा जाता है।
सिस्टम भागों को जोड़ने के लिए निम्नलिखित क्रम का प्रयोग करना चाहिए-
1. की-बोर्ड को मुख्य यूनिट के साथ उचित सॉकेट को देखकर जोड़िए।
2. माउस को मुख्य यूनिट के साथ उचित सॉकेट को देखकर जोड़िए।
3. मॉनीटर को मुख्य यूनिट के साथ उचित सॉकेट को देखकर जोड़िए।
4. मुख्य यूनिट की पॉवर केबल को यू.पी.एस. (U.P.S.) या सी.वी.टी. (C.V.T.) के साथ जोड़िए।
5. प्रिंटर को मुख्य यूनिट के साथ समानान्तर सॉकेट को देखकर जोड़िए तथा प्रिंटर की पॉवर केवल को यू.पी.एस. या सी.बी.टी. के साथ जोड़़िए। अब हम अपने कम्प्यूटर को चला सकते हैं। बिजली का स्विच ऑन (on) करने के बाद हम मुख्य यूनिट या सिस्टम यूनिट तथा मॉनीटर को चलाएँगे। प्रिंटर को तभी चलाएँगे जब हमें प्रिंट की आवश्यकता है।
कंप्यूटर के आंतरिक और आगे और पीछे के भाग !
कंप्यूटर के आंतरिक और आगे और पीछे के भाग !
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